विदेशी हिस्सेदारी से सब पर बुरा असर
शर्मिष्ठा मुखर्जी I साभार : बिजनेस स्टैंडर्ड से
विदेशी कंपनी को हिस्सेदारी बेचने के मसले पर मालिकान के बीच उभर आया मतभेद : संजीव मोहन गुप्ता ने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) में शिकायत की : हिंदी अखबारों में नामचीन 'दैनिक जागरण' और दूसरे पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित करने वाले जागरण समूह के मालिकान में टकराव के आसार नजर आ रहे हैं। मसला है ब्लैकस्टोन समूह को हिस्सेदारी बेचे जाने का।
जागरण पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (जेपीपीएल) में स्वयं और अपनी पत्नी के जरिये 15 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले संजीव मोहन गुप्ता ने ब्लैकस्टोन जीपीवी कैपिटल पार्टनर्स मॉरीशस को हिस्सेदारी बेचने की जागरण मीडिया नेटवर्क्स (जेएमएन) की योजना के खिलाफ विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) में शिकायत कर दी है।
जेएमएन का प्रवर्तक संजीव के निकट संबंधी पी सी गुप्ता का परिवार है। संजीव गुप्ता जी डी गुप्ता परिवार से हैं, जिसकी जेपीपीएल में कुल 60 फीसदी हिस्सेदारी है। जेपीपीएल में जेपीएल की 40 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसका प्रवर्तक पी सी गुप्ता परिवार है।
जेएमएन का प्रवर्तक संजीव के निकट संबंधी पी सी गुप्ता का परिवार है। संजीव गुप्ता जी डी गुप्ता परिवार से हैं, जिसकी जेपीपीएल में कुल 60 फीसदी हिस्सेदारी है। जेपीपीएल में जेपीएल की 40 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसका प्रवर्तक पी सी गुप्ता परिवार है।
जेपीपीएल के निदेशक मंडल में दोनों के बराबर निदेशक हैं और चेयरमैन समीर गुप्ता भी पी सी गुप्ता परिवार से हैं। प्रबंध निदेशक आशुतोष मोहन गुप्ता जी डी गुप्ता परिवार से हैं। जेपीपीएल दरअसल जेपीएल की सहयोगी कंपनी है।
निजी इक्विटी निवेश के मामले में मशहूर ब्लैकस्टोन समूह ने मॉरीशस की अपनी सहयोगी कंपनी के जरिये जेएमएन में 12.83 फीसदी हिस्सेदारी 225 करोड़ रुपये में खरीदने की मंशा जाहिर की है। यह प्रस्ताव एफआईपीबी के पास है।
निजी इक्विटी निवेश के मामले में मशहूर ब्लैकस्टोन समूह ने मॉरीशस की अपनी सहयोगी कंपनी के जरिये जेएमएन में 12.83 फीसदी हिस्सेदारी 225 करोड़ रुपये में खरीदने की मंशा जाहिर की है। यह प्रस्ताव एफआईपीबी के पास है।
जेएमएन के प्रवर्तक समीर गुप्ता और शैलेश गुप्ता की जेपीएल में 63 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है। जेपीएल उत्तर प्रदेश समेत 11 राज्यों में 33 संस्करण प्रकाशित करती है। जेपीपीएल मध्य प्रदेश में भोपाल और रीवा में अखबार निकालती है।
जेपीपीएल के निदेशक संजीव मोहन गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'दैनिक जागरण ट्रेडमार्क का अधिकार जे सी आर्य, पी सी गुप्ता और जी डी गुप्ता के परिवारों के पास साझा तौर पर है। बाकी कंपनियों की मंजूरी के बगैर जेएमएन में विदेशी हिस्सेदारी से सब पर बुरा असर पड़ेगा।
जेपीपीएल के निदेशक संजीव मोहन गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'दैनिक जागरण ट्रेडमार्क का अधिकार जे सी आर्य, पी सी गुप्ता और जी डी गुप्ता के परिवारों के पास साझा तौर पर है। बाकी कंपनियों की मंजूरी के बगैर जेएमएन में विदेशी हिस्सेदारी से सब पर बुरा असर पड़ेगा।
' उन्होंने कहा, '1976 के पारिवारिक समझौते के मुताबिक ट्रेडमार्क और 'दैनिक जागरण' नाम के इस्तेमाल के लिए तमाम शर्तें हैं, जिन्हें पी सी गुप्ता परिवार के सदस्य और जेपीएल तोड़ रहे हैं।' लेकिन जेपीएल के मुख्य वित्त अधिकारी आर के अग्रवाल ने इस आरोप को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, 'जागरण प्रकाशन लिमिटेड 35 साल से ज्यादा वक्त से दैनिक जागरण का प्रकाशन कर रही है और इस ब्रांड पर उसी का अधिकार है। दैनिक जागरण के देश भर में प्रकाशित संस्करणों का आरएनआई पंजीकरण अधिकार भी इसके पास है।
उन्होंने कहा, 'जागरण प्रकाशन लिमिटेड 35 साल से ज्यादा वक्त से दैनिक जागरण का प्रकाशन कर रही है और इस ब्रांड पर उसी का अधिकार है। दैनिक जागरण के देश भर में प्रकाशित संस्करणों का आरएनआई पंजीकरण अधिकार भी इसके पास है।
दैनिक जागरण के कॉपीराइट और ट्रेड मार्क अधिकार भी जेपीएल के ही पास हैं। इसलिए उल्लंघन का सवाल ही कैसे पैदा होता है। जेपीएल के अधिकारों पर असर डालने वाला कोई भी समझौता किसी के साथ नहीं किया गया है।'
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