मीडिया हाउस कमीशनखोर पत्रकार न रखें-रिपोर्ट प्रेस काउंसिल आफ इंडिया
साभार- भड़ास4मीडिया
पेड न्यूज के मामले में भारतीय प्रेस परिषद की रिपोर्ट बदलने में लगे हैं कुछ मीडिया घराने. यह खुलासा किया है पत्रकार नरेंद्र भल्ला ने, आउटलुक हिंदी के लैटेस्ट अंक में. इस मैग्जीन में नरेंद्र भल्ला की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. शीर्षक है- ''पेड न्यूज पर पर्दा''. स्टोरी की शुरुआत कुछ इस तरह है- ''पैसे लेकर विज्ञापनों का खबरों की तरह छापने या फिर उन्हें चैनलों पर प्रसारित करने यानी पेड न्यूज को लेकर तैयार रिपोर्ट प्रेस काउंसिल आफ इंडिया (भारतीय प्रेस परिषद) को सौंप दी गई है.
परिषद की दो सदस्यीय उप कमेटी द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कुछ मीडिया घरानों पर संगीन आरोप हैं, लिहाजा मीडिया के एक वर्ग ने इसे हूबहू लागू करने से रोकने के लिए लीपापोती शुरू कर दी है. आउटलुक को 71 पृष्ठों वाली इस रिपोर्ट की एक प्रति हाथ लगी है जिसकी सिफारिशें लागू कर दी गईं तो भ्रष्ट गठजोड़ वाले इस खेल पर बहुत हद तक लगाम कसी जा सकती है.''
स्टोरी के इंट्रो से ही पेड न्यूज के पूरे खेल का पता चल जा रहा है. सवाल है कि वो कौन मीडिया घराने हैं जो नहीं चाहते कि पेड न्यूज को लेकर तैयार की गई इस रिपोर्ट को लागू करने की कोई भी कवायद की जाए. सूत्रों का कहना है कि इस 71 पेजी रिपोर्ट में कई बड़े मीडिया हाउसों के नामों का उल्लेख है जिन्होंने पेड न्यूज के जरिए पत्रकारिता को कलंकित किया है. 71 पेजी रिपोर्ट में एक सिफारिश यह भी है कि मीडिया हाउस कमीशनखोर पत्रकार न रखें.
स्टोरी के इंट्रो से ही पेड न्यूज के पूरे खेल का पता चल जा रहा है. सवाल है कि वो कौन मीडिया घराने हैं जो नहीं चाहते कि पेड न्यूज को लेकर तैयार की गई इस रिपोर्ट को लागू करने की कोई भी कवायद की जाए. सूत्रों का कहना है कि इस 71 पेजी रिपोर्ट में कई बड़े मीडिया हाउसों के नामों का उल्लेख है जिन्होंने पेड न्यूज के जरिए पत्रकारिता को कलंकित किया है. 71 पेजी रिपोर्ट में एक सिफारिश यह भी है कि मीडिया हाउस कमीशनखोर पत्रकार न रखें.
मतलब, ऐसे पत्रकारों को जो खबर के साथ विज्ञापन का भी काम देखते हों और उन्हें बदले में विज्ञापन से कमीशन मिलता हो, को मीडिया हाउस बिलकुल बढ़ावा न दें. पर आज हो रहा है उल्टा. जो कमीशनखोर पत्रकार हैं, वे राज कर रहे हैं और ईमानदार पत्रकार रो रहा है. पेड न्यूज के मुद्दे पर नरेंद्र भल्ला की पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए आप आउटलुक हिंदी के लैटेस्ट अंक को बाजार से खरीदें फिर मनन करें. फिलहाल हम यहां 71 पृष्ठों वाली रिपोर्ट की कुछ प्रमुख सिफारिशों को पढ़ेंगे-
-सभी राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए यह आवश्यक कर दिया जाए कि जिन अखबारों या चैनलों में उनके या उनके प्रतिनिधियों के पक्ष की खबरें या इंटरव्यू प्रकाशित-प्रसारित हों, उन संस्थानों में उनकी कितनी भागेदारी है या क्या आर्थिक स्वार्थ हैं, वे इसका खुलासा करेंगे. साथ ही, इस बारे में संबंधित संस्थान को अपने पाठकों-दर्शकों को भी यह बताना अनिवार्य होगा.
-पेड न्यूज से संबंधित शिकायतों के लिए निर्वाचन आयोग में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया जाए ताकि उन पर तेजी से कार्रवाई हो सके. परिषद की सहमति से निर्वाचन आयोग निष्पक्ष पत्रकारों या किसी सार्वजनिक हस्ती को पर्यवेक्षक नामित करे जो जिला और राज्य स्तर पर आयोग द्वारा बनाए गए पर्यवेक्षकों के साथ मिलकर काम करें. ये नामित पर्यवेक्षक पेड न्यूज से संबंधित जानकारी परिषद और आयोग को देंगे.
-पेड न्यूज से जुड़ी शिकायतों की जांच के लिए परिषद मीडिया प्रोफेशनल्स की संस्था बनाए जो जिला स्तर तक हो और अपीलीय प्रक्रिया से गुजरने के बाद इसकी सिफारिशों को मानना आयोग और अन्य सरकारी विभागों के लिए आवश्यक होगा.
-परिषद को चाहिए कि वह पेड न्यूज के बारे में पत्रकारों से भी शिकायत मांगे, यह भरोसा दिलाते हुए कि उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी.
-मीडिया संस्थान ऐसे स्ट्रिंगरों और संवाददाताओं को नियुक्त करने से बचें जो खबरों के अलावा विज्ञापन भी लाते हैं और उसमें से अपना कमीशन पाते हैं.
-अर्ध न्यायिक हैसियत वाली परिषद के पास सीमित अधिकार हैं और दुराचार में दोषी पाए जाने पर भी वह किसी को दंडित नहीं कर सकती एवं उसका दायरा भी प्रिंट मीडिया तक सीमित है. लिहाजा परिषद के दायरे में टीवी चैनल, रेडियो स्टेशन और इंटरनेट वेबसाइट को भी लाया जाए और उसे कानूनी अधिकार दिए जाएं कि वह किसी व्यक्ति या संगठन को दंडित कर सके.
-सभी राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों के लिए यह आवश्यक कर दिया जाए कि जिन अखबारों या चैनलों में उनके या उनके प्रतिनिधियों के पक्ष की खबरें या इंटरव्यू प्रकाशित-प्रसारित हों, उन संस्थानों में उनकी कितनी भागेदारी है या क्या आर्थिक स्वार्थ हैं, वे इसका खुलासा करेंगे. साथ ही, इस बारे में संबंधित संस्थान को अपने पाठकों-दर्शकों को भी यह बताना अनिवार्य होगा.
-पेड न्यूज से संबंधित शिकायतों के लिए निर्वाचन आयोग में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया जाए ताकि उन पर तेजी से कार्रवाई हो सके. परिषद की सहमति से निर्वाचन आयोग निष्पक्ष पत्रकारों या किसी सार्वजनिक हस्ती को पर्यवेक्षक नामित करे जो जिला और राज्य स्तर पर आयोग द्वारा बनाए गए पर्यवेक्षकों के साथ मिलकर काम करें. ये नामित पर्यवेक्षक पेड न्यूज से संबंधित जानकारी परिषद और आयोग को देंगे.
-पेड न्यूज से जुड़ी शिकायतों की जांच के लिए परिषद मीडिया प्रोफेशनल्स की संस्था बनाए जो जिला स्तर तक हो और अपीलीय प्रक्रिया से गुजरने के बाद इसकी सिफारिशों को मानना आयोग और अन्य सरकारी विभागों के लिए आवश्यक होगा.
-परिषद को चाहिए कि वह पेड न्यूज के बारे में पत्रकारों से भी शिकायत मांगे, यह भरोसा दिलाते हुए कि उनकी पहचान गुप्त रखी जाएगी.
-मीडिया संस्थान ऐसे स्ट्रिंगरों और संवाददाताओं को नियुक्त करने से बचें जो खबरों के अलावा विज्ञापन भी लाते हैं और उसमें से अपना कमीशन पाते हैं.
-अर्ध न्यायिक हैसियत वाली परिषद के पास सीमित अधिकार हैं और दुराचार में दोषी पाए जाने पर भी वह किसी को दंडित नहीं कर सकती एवं उसका दायरा भी प्रिंट मीडिया तक सीमित है. लिहाजा परिषद के दायरे में टीवी चैनल, रेडियो स्टेशन और इंटरनेट वेबसाइट को भी लाया जाए और उसे कानूनी अधिकार दिए जाएं कि वह किसी व्यक्ति या संगठन को दंडित कर सके.
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