विभूति राय की टिप्पणियों पर हिंदी लेखिकाओं ने आपत्ति जताई
साभार बीबीसी दिव्या आर्य
विभूति राय ने 'बेवफाई' पर अपने साक्षात्कार में कुछ हिन्दी लेखिकाओं को 'छिनाल' कहा था. भारत के दो अखबारों में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय महाविद्यालय के कुलपति और लेखक विभूति नारायण राय की हिंदी लेखिकाओं पर छपी कुछ टिप्पणियों से विवाद पैदा हो गया.
अखबारों की रिपोर्ट के मुताबिक विभूति राय ने कहा कि, "हिंदी लेखिकाओं में एक वर्ग ऐसा है जो अपने आप को बड़ा छिनाल साबित करने में लगा हुआ है."
विभूति राय की टिप्पणियों पर हिंदी लेखिकाओं ने आपत्ति जताई है और उनकी सोच को संकीर्ण बताया है.
बीबीसी ने इस बारे में कई साहित्यिक पुरस्कारों से नवाज़ी और ग्रामीण लोगों से जुड़े और महिलावादी मुद्दों को उभारने वाले लेखन के लिए जानी जाने वाली मैत्रेयी पुष्पा से बातचीत की.
"हम महिला के सम्मान के लिए बड़ी लंबी लड़ाई लड़कर यहां पहुंचे हैं, लेकिन इस तरह के पुरुष हमें गालियां देते हैं, एक पत्थर मारते हैं और सब पर कीचड़ फैला देते हैं."
हिन्दी लेखिका, मैत्रई पुष्पा
मैत्रेयी पुष्पा ने कहा, "हम महिलाओं के सम्मान के लिए बड़ी लंबी लड़ाई लड़कर यहां पहुंचे हैं, लेकिन इस तरह के पुरुष हमें गालियां देते हैं, एक पत्थर मारते हैं और सब पर कीचड़ फैला देते हैं."
वहीं अपनी सफाई में विभूति राय का कहना है कि उनकी बात को संदर्भ बताए बगैर पेश किया गया है.
भारतीय ज्ञानपीठ की साहित्यिक पत्रिका 'नया ज्ञानोदय' ने 'बेवफाई' विषय के शीर्षक के साथ अपने ख़ास अंक में विभूति राय का साक्षात्कार किया था. इसी के कुछ अंश अखबारों ने छापे.
बीबीसी से बातचीत में विभूति राय ने इस तरफ ध्यान आकर्षित किया और अपने विचार स्पष्ट किए.
विभूति राय ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में कुछ महिला लेखिकाएं ये मान के चल रही हैं कि स्त्री मुक्ति का मतलब स्त्री के देह की मुक्ति है. हाल में कुछ आत्मकथाएं भी आई हैं जिनमें होड़ लगी है कि कौन सबसे बड़ा इन्फेडेल है. मैं अपने साक्षात्कार में इसे गलत बताना चाहता था."
लेकिन विभूति राय के इस तर्क को मैत्रेयी पुष्पा सही नहीं मानती हैं और महिला लेखन में देह के विमर्श के खुलकर सामने आने को स्त्री मुक्ति की संकीर्ण परिभाषा नहीं मानती हैं.
वो कहती हैं, "इसमें क्या संकीर्ण है कि अगर वो अपनी ज़िंदगी अपने मुताबिक़ जीना चाहती हैं, घर से बाहर निकलना चाहती हैं. आपसे बर्दाश्त नहीं होता तो हम क्या करें, पर आप क्या गाली देंगे?"
"पिछले कुछ वर्षों में कुछ महिला लेखिकाएं ये मान के चल रही हैं कि स्त्री मुक्ति का मतलब स्त्री के देह की मुक्ति है. हाल में कुछ आत्म कथाएं भी आई हैं जिनमें होड़ लगी है कि कौन सबसे बड़ा इन्फेडेल है. मैं अपने साक्षात्कार में इसे गलत बताना चाहता था."
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय महाविद्यालय के कुलपति और लेखक विभूति नारायण राय
विभूति राय को भी अपने शब्दों का चयन गलत नहीं लगता बल्कि उनका मानना है कि महिला विमर्श में बृहत्तर संदर्भ जुड़े हुए हैं तो सिर्फ शरीर की बात करना उन्हें सही नहीं लगता.
वो बताते हैं कि उनकी भाषा, भोजपुरी में, 'छिनाल' का मतलब ऐसी महिला से होता है जिसका विश्वास ना किया जा सके, ना कि वो जो वेश्यावृति करती हो.
उनके मुताबिक ये अर्थ निकालना गलत होगा.
वो हाल में छपी कुछ हिंदी लेखिकाओं की आत्मकथाओं के बारे में कहते हैं कि, "उनका शीर्षक ये भी हो सकता है कि कितने बिस्तरों पर कितनी बार, क्योंकि उनमें इन बातों की चर्चा के अलावा कुछ नहीं है."
शहर में कर्फ्यू नाम की पुस्तक के लिए विख्यात विभूति नारायण राय भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी हैं और सांप्रदायिकता पर अक्सर लिखते हैं.
हिंदी लेखिका मैत्रेयी पुष्पा के अलावा भी कई हिंदी लेखिकाओं ने विभूति राय की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई है.
हालांकि महिला आंदोलन से जुड़ी कुछ महिलाएं विभूति राय की सोच कि, महिला विमर्श में देह विमर्श को ज़्यादा तरजीह दी जा रही है, से भी इत्तेफ़ाक रखती है.
अखबारों की रिपोर्ट के मुताबिक विभूति राय ने कहा कि, "हिंदी लेखिकाओं में एक वर्ग ऐसा है जो अपने आप को बड़ा छिनाल साबित करने में लगा हुआ है."
विभूति राय की टिप्पणियों पर हिंदी लेखिकाओं ने आपत्ति जताई है और उनकी सोच को संकीर्ण बताया है.
बीबीसी ने इस बारे में कई साहित्यिक पुरस्कारों से नवाज़ी और ग्रामीण लोगों से जुड़े और महिलावादी मुद्दों को उभारने वाले लेखन के लिए जानी जाने वाली मैत्रेयी पुष्पा से बातचीत की.
"हम महिला के सम्मान के लिए बड़ी लंबी लड़ाई लड़कर यहां पहुंचे हैं, लेकिन इस तरह के पुरुष हमें गालियां देते हैं, एक पत्थर मारते हैं और सब पर कीचड़ फैला देते हैं."
हिन्दी लेखिका, मैत्रई पुष्पा
मैत्रेयी पुष्पा ने कहा, "हम महिलाओं के सम्मान के लिए बड़ी लंबी लड़ाई लड़कर यहां पहुंचे हैं, लेकिन इस तरह के पुरुष हमें गालियां देते हैं, एक पत्थर मारते हैं और सब पर कीचड़ फैला देते हैं."
वहीं अपनी सफाई में विभूति राय का कहना है कि उनकी बात को संदर्भ बताए बगैर पेश किया गया है.
भारतीय ज्ञानपीठ की साहित्यिक पत्रिका 'नया ज्ञानोदय' ने 'बेवफाई' विषय के शीर्षक के साथ अपने ख़ास अंक में विभूति राय का साक्षात्कार किया था. इसी के कुछ अंश अखबारों ने छापे.
बीबीसी से बातचीत में विभूति राय ने इस तरफ ध्यान आकर्षित किया और अपने विचार स्पष्ट किए.
विभूति राय ने कहा, "पिछले कुछ वर्षों में कुछ महिला लेखिकाएं ये मान के चल रही हैं कि स्त्री मुक्ति का मतलब स्त्री के देह की मुक्ति है. हाल में कुछ आत्मकथाएं भी आई हैं जिनमें होड़ लगी है कि कौन सबसे बड़ा इन्फेडेल है. मैं अपने साक्षात्कार में इसे गलत बताना चाहता था."
लेकिन विभूति राय के इस तर्क को मैत्रेयी पुष्पा सही नहीं मानती हैं और महिला लेखन में देह के विमर्श के खुलकर सामने आने को स्त्री मुक्ति की संकीर्ण परिभाषा नहीं मानती हैं.
वो कहती हैं, "इसमें क्या संकीर्ण है कि अगर वो अपनी ज़िंदगी अपने मुताबिक़ जीना चाहती हैं, घर से बाहर निकलना चाहती हैं. आपसे बर्दाश्त नहीं होता तो हम क्या करें, पर आप क्या गाली देंगे?"
"पिछले कुछ वर्षों में कुछ महिला लेखिकाएं ये मान के चल रही हैं कि स्त्री मुक्ति का मतलब स्त्री के देह की मुक्ति है. हाल में कुछ आत्म कथाएं भी आई हैं जिनमें होड़ लगी है कि कौन सबसे बड़ा इन्फेडेल है. मैं अपने साक्षात्कार में इसे गलत बताना चाहता था."
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय महाविद्यालय के कुलपति और लेखक विभूति नारायण राय
विभूति राय को भी अपने शब्दों का चयन गलत नहीं लगता बल्कि उनका मानना है कि महिला विमर्श में बृहत्तर संदर्भ जुड़े हुए हैं तो सिर्फ शरीर की बात करना उन्हें सही नहीं लगता.
वो बताते हैं कि उनकी भाषा, भोजपुरी में, 'छिनाल' का मतलब ऐसी महिला से होता है जिसका विश्वास ना किया जा सके, ना कि वो जो वेश्यावृति करती हो.
उनके मुताबिक ये अर्थ निकालना गलत होगा.
वो हाल में छपी कुछ हिंदी लेखिकाओं की आत्मकथाओं के बारे में कहते हैं कि, "उनका शीर्षक ये भी हो सकता है कि कितने बिस्तरों पर कितनी बार, क्योंकि उनमें इन बातों की चर्चा के अलावा कुछ नहीं है."
शहर में कर्फ्यू नाम की पुस्तक के लिए विख्यात विभूति नारायण राय भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी हैं और सांप्रदायिकता पर अक्सर लिखते हैं.
हिंदी लेखिका मैत्रेयी पुष्पा के अलावा भी कई हिंदी लेखिकाओं ने विभूति राय की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई है.
हालांकि महिला आंदोलन से जुड़ी कुछ महिलाएं विभूति राय की सोच कि, महिला विमर्श में देह विमर्श को ज़्यादा तरजीह दी जा रही है, से भी इत्तेफ़ाक रखती है.
2 comments:
हमें विवादों से बचना चाहिए
संतुलित रपट
Post a Comment