मध्यप्रदेश के दोनों अभ्यारण्यों में 80 चीते बस सकते हैं
शिकार के कारण भारत के जंगलों से लुप्त हुआ चीता अब दोबारा यहाँ दिखाई देगा.सरकार ने वन्यजीव गुटों की उन अनुसंशाओं को मान लिया है कि चीते को मध्य प्रदेश के दो अभ्यारण्यों और राजस्थान के शाहगढ़ इलाक़े में दोबारा बसाया जा सकता है.
इसके लिए चीते को अफ़्रीका, ईरान और मध्य पू्र्व से आयात किया जाएगा. सरकार तीन करोड़ रुपए खर्च करेगी ताकि आयात से पहले अभ्यारण्यों को ठीक-ठाक किया जा सके.पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि विश्व के सबसे तेज़ भागने वाले जानवर चीते को दोबारा भारत लाने से फ़ायदा होगा.विशेषज्ञों का मानना है कि मध्यप्रदेश के दोनों अभ्यारण्यों में 80 चीते बस सकते हैं लेकिन इसके लिए 23 रिहाइशी इमारतों को हटाना होगा.
सबसे तेज़
राजस्थान में भी पाकिस्तान सीमा के साथ कई बस्तियों को हटाना पड़ेगा.वन्यजीव ट्रस्ट के अधिकारी एमके रंजीतसिंह ने पीटीआई से बातचीत में कहा, “चीते को वापस आने के बाद भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश बन जाएगा जहाँ बड़ी बिल्लियों की आठ में छह प्रजातियाँ पाई जाएँगीं.”
ब्रितानी शासनकाल के दौरान शिकार के कारण चीतों की संख्या बहुत कम हो गई थी और बाद में ये भारत से लुप्त हो गया.पर्यावरणविदों का कहना है कि 100 से भी कम लुप्त प्रजातियाँ ईरान के जंगलों में पाई जाती हैं.
करीब दस हज़ार चीते अफ़्रीका में है. लेकिन चीते को दोबारा भारत में लाने का कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं. इनका कहना है कि चीते के रहने की प्राकृतिक जगहों को दोबारा बसाए बगैर,उनके खान पान का ध्यान रखे बगैर चीते की संख्या बढ़ नहीं पाएगी.
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