चुनाव आयोग का पेड न्यूज की घटनाओं पर कड़ा रुख
साभार I भड़ास4मीडिया
चुनाव आयोग ने कुछ राज्यों में होने वाले चुनावों में अधिकारियों से पेड न्यूज पर कड़ी नजर रखने और जरूरत पड़ने पर नोटिस जारी करने व कार्रवाई करने को कहा : चुनाव आयोग ने पैसे लेकर खबर छापने (पेड न्यूज) की घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए पेड न्यूज के धंधेबाजों की शिनाख्त करने और उन्हें धर-दबोचने को कहा है.
पेड न्यूज को लेकर देशभर में मचे हो-हल्ला के बाद चुनाव आयोग की नींद आखिरकार टूट गई है. चुनाव आयोग ने पेड न्यूज पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों से चुनाव संबंधी रिपोर्टों पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा है.अगले वर्ष कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने पेड न्यूज के धंधे को कमतर कराने के लिए तैयारियां अभी से शुरू कर दी है. चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार आयोग ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश जारी किया है. इन निर्देशों में कहा गया है कि आयोग पैसे लेकर खबर छापने की घटनाओं से चिंतित है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के संदर्भ में यह विशेष रूप से चिंता का विषय है.
आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारियों से भी इस मामले में मीडिया रिपोर्टों पर कड़ी नजर रखने के लिए कहा है. इन अधिकारियों से कहा गया है कि वे चुनावों की घोषणा होते ही मीडिया में प्रकाशित या प्रसारित खबरों पर नजर रखने के लिए जिला स्तर की समितियों का गठन करें, जिससे कि खबर के नाम पर राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण या प्रकाशन पर रोक लगाई जा सके.
आयोग ने कहा है कि इस मामले में कार्रवाई मौजूदा कानूनों के तहत ही की जानी चाहिए. आयोग ने कहा है कि पेड न्यूज ऐसे लेख या रिपोर्ट के रूप में भी हो सकती है जिसमें किसी विशेष उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में खबर दी जाती है. हालाँकि इसके बदले में किसी तरह के लेन-देने का पुख्ता सबूत नहीं होता. आयोग ने यह भी कहा है कि जब किसी उम्मीदवार के भाषण या उसकी चुनावी गतिविधियों को ज्यादा तरजीह दी जाती है तो उस उम्मीदवार को नोटिस जारी कर इस बारे में उसका रुख जानना चाहिए.
आयोग ने कहा है कि इस मामले में कार्रवाई मौजूदा कानूनों के तहत ही की जानी चाहिए. आयोग ने कहा है कि पेड न्यूज ऐसे लेख या रिपोर्ट के रूप में भी हो सकती है जिसमें किसी विशेष उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में खबर दी जाती है. हालाँकि इसके बदले में किसी तरह के लेन-देने का पुख्ता सबूत नहीं होता. आयोग ने यह भी कहा है कि जब किसी उम्मीदवार के भाषण या उसकी चुनावी गतिविधियों को ज्यादा तरजीह दी जाती है तो उस उम्मीदवार को नोटिस जारी कर इस बारे में उसका रुख जानना चाहिए.
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