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गडकरी की भाषा पर भड़की कांग्रेस

 दहशत के साये में दिल्ली
नवभारत टाइम्स की पहली सुर्खी है-कश्मीर की हिंसा में पाकिस्तान लिंक के सबूत, एक के बाद एक मिल रहे हैं टेप। जनसत्ता के भी मुखपृष्ठ पर है-सुरक्षा बलों ने दिये सबूत, कश्मीर में अशांति के पीछे पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ। बकौल राष्ट्रीय सहारा-घाटी के उप्रदव का रिमोट पाकिस्तान में, पकड़े गये हुर्रियत नेता वानी का खुलासा।
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के अफजल गुरु मामले में अपने विवादास्पद बयान पर माफी नहीं मांगने की घोषणा दैनिक भास्कर की बड़ी खबर है। दैनिक जागरण में है-गडकरी की भाषा पर भड़की कांग्रेस और समाजवादी पार्टी।
राष्ट्रीय सहारा की विशेष खबर में है-अब चीनी को नियंत्रण मुक्त करने की तैयारी। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी चीनी के मूल्य से नियंत्रण हटाने के कृषि मंत्री शरद पवार के संकेत को मुखपृष्ठ पर दिया है।
पंजाब हरियाणा में बाढ़ के कारण सब्जियों की आवक कम होने और दाम आसमान छूने का विश्लेषण आज समाज के मुखपृष्ठ पर है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करने और केन्द्र पर बिहार के साथ अन्याय करने का आरोप लगाते हुए विशेष दर्जा मांगने की विस्तृत खबर जनसत्ता के पहले पन्ने के बॉटम पर है।
अंग्रेजी दैनिक द ट्रिब्यून के पहले पन्ने के बॉटम की यह ख़बर ध्यान खींचती है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन खुद सरकारी नवोदय विद्यालयों द्वारा, ६ से १४ साल तक के बच्चों के एडमिशन के लिये निर्धारित निर्देशों का पालन नहीं।
राजधानी में पिछले चौबीस घंटे में आठ हत्याओं को नई दुनिया ने पहली ख़बर बनाया है। देशबंधु की भी पहली सुर्खी है-दहशत के साये में दिल्ली। बकौल हमारा महानगर-अपराध से कांपी दिल्ली। हिंदुस्तान की सुर्खी है-दिल्ली से लगता है डर।
बिजनौर के डॉ. हरीशचन्द्र आत्रेय के निधन पर अमर उजाला के विचार पृष्ठ पर है-सबसे अलग, रोशनी बांटने की मिसाल। डॉ. आत्रेय ने एक नेत्र बैंक बनाकर  हर महीने पंद्रह के हिसाब से सात हजार से ज्यादा आंखें एम्स को उपलब्ध कराई हैें जो देश में ही नहीं, समूचे दक्षिण-पश्चिम एशिया में एक रिकॉर्ड है।
इकॉनोमिक टाइम्स की बड़ी खबर है-सुनहरे कल की रिंगटोन पर झूमे टेलीकॉम शेयर। रेटिंग में इजाफे का निवेशकों ने दिल खोलकर स्वागत किया। बिजनेस भास्कर ने भी इसे पहली ख़बर बनाया है।
विश्व कप फुटबॉल के संदर्भ में ऑक्टोपस पॉल की भविष्यवाणियों को लेकर उपजे अंधविश्वास को आज समाज ने पहले पन्ने पर सबसे ऊपर सचित्र दिया है। दैनिक ट्रिब्यून के पहले पन्ने के बॉटम पर है-कुछ भी कहो, बाबा है कमाल। इस अंधविश्वास की आलोचना भी साथ ही है। अमर उजाला की संपादकीय टिप्पणी है-स्पेन और हॉलेंड की टीमें किसी टोने-टोटके से नहीं, बल्कि अपनी प्रतिभा और मेहनत के बल पर फाइनल में पहुंची हैं।

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