तुम अनएज्युकेटेड हो... अंग्रेजी नहीं जानते... बदतमीज हो... गेट आउट..
साभार : भड़ास4मीडिया
: जेठमलानी अपनी सनकमिजाजी के लिये कुख्यात हैं : आश्चर्यजनक है कि पूरी घटना पर चौरसिया ने भी मौन साध रखा है : ''...तुम मीडिया वालों को कांग्रेस ने खरीद रखा है... तुम अनएज्युकेटेड हो... अंग्रेजी नहीं जानते... बदतमीज हो... गेट आउट... निकल जाओ यहाँ से!'' ये अशिष्ट, आक्रामक शब्द हैं भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य, जाने-माने ज्येष्ठ वकील राम जेठमलानी के। जेठमलानी ने मीडिया को कांग्रेस का जरखरीद गुलाम व अशिक्षित बताया।
यह सब उल्टा-सीधा कहते हुए जेठमलानी ने स्टार न्यूज चैनल के वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी दीपक चौरसिया को अपने घर से निकाल बाहर कर दिया। जेठमलानी यह टिप्पणी करने से नहीं चूके कि तुम मेरी मेहमाननवाजी का बेजा इस्तेमाल कर रहे हो। चौरसिया चैनल के एक कार्यक्रम के लिये रामजेठमलानी का साक्षात्कार लेने पूर्व निर्धारित समय पर गये थे। जेठमलानी अपनी सनकमिजाजी के लिये कुख्यात हैं।
चौरसिया के पहले अन्य कुछ चैनलों के कार्यक्रम में भी वे बदतमीजी से पेश आ चुके हैं। सनकमिजाजी ऐसी कि 1990 में जब विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार से भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया था और चंद्रशेखर कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने की जुगत कर रहे थे (जो बाद में बनी भी) तब विरोध स्वरूप जेठमलानी चंद्रशेखर के घर के बाहर धरने पर बैठ गये थे। कहते हैं कि धरने पर बैठे जेठमलानी की कुछ बातों से चंद्रशेखर उग्र हो उठे थे। उन्होंने इशारा किया और फिर उनके एक समर्थक पहलवान नेता ने रामजेठमलानी की पिटाई कर डाली थी।
लगता है जेठमलानी की आदतें गई नहीं हैं, सो उन्होंने दीपक चौरसिया के जरिये मीडिया को निशाने पर ले लिया। कांग्रेस सरकार को भ्रष्ट, चोर, बेईमान बतानेवाले जेठमलानी को भारतीय जनता पार्टी सहन करती रहे, हमें आपत्ति नहीं! किंतु जब वे मीडिया के साथ राज ठाकरे या शिवसैनिकों की तरह बदतमीजी ने पेश आते हैं, तब उन्हें उनकी हैसियत बताई जानी चाहिए।
यह सब उल्टा-सीधा कहते हुए जेठमलानी ने स्टार न्यूज चैनल के वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी दीपक चौरसिया को अपने घर से निकाल बाहर कर दिया। जेठमलानी यह टिप्पणी करने से नहीं चूके कि तुम मेरी मेहमाननवाजी का बेजा इस्तेमाल कर रहे हो। चौरसिया चैनल के एक कार्यक्रम के लिये रामजेठमलानी का साक्षात्कार लेने पूर्व निर्धारित समय पर गये थे। जेठमलानी अपनी सनकमिजाजी के लिये कुख्यात हैं।
चौरसिया के पहले अन्य कुछ चैनलों के कार्यक्रम में भी वे बदतमीजी से पेश आ चुके हैं। सनकमिजाजी ऐसी कि 1990 में जब विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार से भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया था और चंद्रशेखर कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने की जुगत कर रहे थे (जो बाद में बनी भी) तब विरोध स्वरूप जेठमलानी चंद्रशेखर के घर के बाहर धरने पर बैठ गये थे। कहते हैं कि धरने पर बैठे जेठमलानी की कुछ बातों से चंद्रशेखर उग्र हो उठे थे। उन्होंने इशारा किया और फिर उनके एक समर्थक पहलवान नेता ने रामजेठमलानी की पिटाई कर डाली थी।
लगता है जेठमलानी की आदतें गई नहीं हैं, सो उन्होंने दीपक चौरसिया के जरिये मीडिया को निशाने पर ले लिया। कांग्रेस सरकार को भ्रष्ट, चोर, बेईमान बतानेवाले जेठमलानी को भारतीय जनता पार्टी सहन करती रहे, हमें आपत्ति नहीं! किंतु जब वे मीडिया के साथ राज ठाकरे या शिवसैनिकों की तरह बदतमीजी ने पेश आते हैं, तब उन्हें उनकी हैसियत बताई जानी चाहिए।
फिर दीपक चौरसिया और उनका चैनल स्टार न्यूज जेठमलानी की बदतमीजी पर तटस्थ क्यों बने रहे? अन्य मौकों पर अपने ऊपर कोई आक्रमण का हमेशा प्रतिवाद करनेवाला मीडिया जेठमलानी मुद्दे पर शांत क्यों? अगर यह रवैया उपेक्षा की श्रेष्ठ नीति की तहत अपनाया गया है, तब भी आसानी से यह किसी के गले से उतरनेवाली नहीं।
जेठमलानी के द्वारा चौरसिया का अपमान किसी बंद कमरे में नहीं हुआ था। बल्कि सब कुछ कैमरे के सामने और लाखों लोगों ने पूरी घटना को टेलीविजन पर देखा भी। ऐसे में घटना की उपेक्षा सहज नहीं। ऐसे ''मौन'' को मीडिया ही स्वीकारोक्ति निरूपित करता आया है।
जेठमलानी के द्वारा चौरसिया का अपमान किसी बंद कमरे में नहीं हुआ था। बल्कि सब कुछ कैमरे के सामने और लाखों लोगों ने पूरी घटना को टेलीविजन पर देखा भी। ऐसे में घटना की उपेक्षा सहज नहीं। ऐसे ''मौन'' को मीडिया ही स्वीकारोक्ति निरूपित करता आया है।
तो क्या राम जेठमलानी के आरोप को स्टार न्यूज ने स्वीकार कर लिया है? विश्वास नहीं होता कि जेठमलानी के निहायत घटिया शब्दों को स्टार न्यूज जैसा प्रतिष्ठित चैनल स्वीकार कर ले। दीपक चौरसिया की पहचान एक निडर, लब्धप्रतिष्ठित पत्रकार के रूप में है। सटीक राजनीतिक विश्लेषण के लिये वे पहचाने जाते हैं। यह आश्चर्यजनक है कि पूरी घटना पर चौरसिया ने भी मौन साध रखा है।
जेठमलानी जब उनके प्रश्न पर आपा खो बदतमीजी पर उतर आये थे, तब शांत रहकर चौरसिया ने अपनी शिष्टता का परिचय दिया था, यह तो ठीक है। किंतु जब जेठमलानी ने पूरे मीडिया को बिकाऊ बेईमान, अशिष्ट, गैरजिम्मेदार और अशिक्षित करार दिया, तब घटना के बाद किसी अन्य कार्यक्र्रम या मंच से विरोध तो होना ही चाहिए था। मैं पहले बता चुका हूं कि उपेक्षा की नीति यहां स्वीकार नहीं की जा सकती।
जेठमलानी जब उनके प्रश्न पर आपा खो बदतमीजी पर उतर आये थे, तब शांत रहकर चौरसिया ने अपनी शिष्टता का परिचय दिया था, यह तो ठीक है। किंतु जब जेठमलानी ने पूरे मीडिया को बिकाऊ बेईमान, अशिष्ट, गैरजिम्मेदार और अशिक्षित करार दिया, तब घटना के बाद किसी अन्य कार्यक्र्रम या मंच से विरोध तो होना ही चाहिए था। मैं पहले बता चुका हूं कि उपेक्षा की नीति यहां स्वीकार नहीं की जा सकती।
जिन लाखों दर्शकों ने जेठमलानी को चौरसिया और मीडिया पर आरोप लगाते, गरजते-बरसते देखा, वे भी मीडिया के इस मौन पर अचंभित हैं। इस मौन को स्वीकारोक्ति माननेवालों की भी कमी नहीं है। कोई करेगा इनका प्रतिकार!
लेखक एसएन विनोद प्रतिष्ठित पत्रकार हैं. इन दिनों हिंदी दैनिक 1857 के प्रधान संपादक के रूप में नागपुर में कार्यरत हैं
लेखक एसएन विनोद प्रतिष्ठित पत्रकार हैं. इन दिनों हिंदी दैनिक 1857 के प्रधान संपादक के रूप में नागपुर में कार्यरत हैं
3 comments:
ओल्ड न्यूज़. आजकल सुबह की खबर शाम को पुरानी हो जाती है.
कुछ भी कहना बेकार है...
:)
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