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भास्कर के मालिकों का झगड़ा और उलझा

आरएनआई के कुछ लोग कंपनी डीबी कार्प के शुभचिंतक हैं
 साभार : भड़ास4मीडिया
जमशेदपुर, मुजफ्फरपुर, धनबाद में भी एक ने डिक्लयरेशन के लिए आवेदन तो दूसरे ने आब्जेक्शन फाइल  किया : पटना व रांची के जिलाधिकारियों ने डीबी कार्प की तरफ से जवाब मिलने पर आरएनआई के पास मैटर भेजा : पटना और रांची से दैनिक भास्कर लांच करने के लिए भास्कर के मालिकों में कानूनी लड़ाई नए मोड़ पर पहुंच गई है.
अखबार निकालने के लिए डीबी कार्प की तरफ से पटना और रांची के जिलाधिकारियों के यहां डिक्लयरेशन का आवेदन फाइल किया गया था. उस पर भास्कर के एक अन्य मालिक संजय अग्रवाल ने आब्जेक्शन किया था. तब जिलाधिकारियों ने डीबी कार्प प्रबंधन को नोटिस भेजकर आब्जेक्शन पर जवाब मांगा था. डीबी कार्प की ओर से आब्जेक्शन का जवाब भेज दिया गया है. जवाब में कहा गया है कि भास्कर को नई जगह लांच करने के लिए किसी और की परमीशन लेने की कोई जरूरत नहीं है.

सूत्रों का कहना है कि इस जवाब में यह कहीं नहीं कहा गया है कि संजय अग्रवाल भास्कर के मालिक नहीं है या ब्रांड में उनकी हिस्सेदारी नहीं है. जिलाधिकारियों ने इस जवाब के बाद आरएनआई के पास पूरी फाइल भेज दी है और अनुरोध किया है कि वे इस मामले में राय दें कि क्या सही है और क्या गलत.

सूत्रों के मुताबिक आरएनआई के अधिकारी इस फाइल को पंद्रह दिन से दबाए बैठे हैं और कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं. कहा जा रहा है कि आरएनआई के कुछ लोग, जो रमेश चंद्र अग्रवाल और उनके पुत्रों की कंपनी डीबी कार्प के शुभचिंतक हैं, सलाह दे चुके हैं कि डीबी कार्प को बिहार और झारखंड के किसी भी जिले के डीएम से डिक्लयरेशन हासिल कर दो-चार कापियां छापकर आरएनआई से रजिस्ट्रेशन नंबर ले लेना चाहिए. इतना हो जाने के बाद बिहार-झारखंड के किसी भी जिले से भास्कर को अखबार निकालने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

सूत्रों के मुताबिक इस सलाह के बाद डीबी कार्प की तरफ से मुजफ्फरपुर, धनबाद और जमशेदपुर में अखबार निकालने के लिए चुपचाप डिक्यलरेशन फाइल कर दिया गया. पर इसकी जानकारी संजय अग्रवाल को लग गई और उन्होंने इन जगहों पर भी डीएम के यहां आब्जेक्शन फाइल कर दिया है. इन जगहों के डीएम ने भी डीबी कार्प मैनेजमेंट को आब्जेक्शन पर नोटिस भेजकर जवाब मांगा है.

संजय अग्रवाल और उनके करीबी लोग जल्द ही आरएनआई के अधिकारियों से मिलकर शिकायत दर्ज कराने वाले हैं कि पूरे मामले पर आरएनआई का रुख हीलाहवाली और लेटलतीफी का है, जिससे डीबी कार्प को फायदा मिल सकता है. 

साथ ही यह भी अनुरोध करेंगे कि अगर बिहार और झारखंड के किसी भी जिले से डीबी कार्प दैनिक भास्कर लांच करने के लिए डिक्लयरेशन डीएम से हासिल कर लेता है तो आरएनआई अखबार को रजिस्ट्रेशन नंबर ना दे क्योंकि पूरा मामला विवादित है. फिलहाल इस प्रकरण में डाल-डाल और पात-पात वाली कहावत ही चरितार्थ हो रही है.

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