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फ्रंटपेज पर चार कालम में माफीनामा

टीओआई ढेर सारे मामलों में रिकार्ड बनाता है
साभार भड़ास4मीडिया

: टीओआई, बेंगलोर में हुआ कारनामा : पहले किसी की जमकर इज्जत उतारो, उल्टा-सीधा लिख कर. कई पार्ट में छापो. छापते ही जाओ. और, जब जबरन व बिना वजह बेइज्जत हुआ शख्स कोर्ट-कचहरी करने लगे तो इतना बड़ा माफीनामा छाप दो कि माफी मांगने का नया रिकार्ड ही कायम हो जाए. बहुत बड़ा माफीनामा छापने का रिकार्ड कायम किया है टाइम्स आफ इंडिया ने. टीओआई ढेर सारे मामलों में रिकार्ड बनाता है. इस बार लंबा माफीनामा छापकर ही नया रिकार्ड बना दिया है. 

टीओआई, बेंगलोर में माफीनामे की खबर फ्रंट पेज पर पूरे चार कालम में प्रकाशित है. शीर्षक पढ़ने से ही जाहिर हो जाता है कि टीओआई वालों ने अच्छी खासी माफी मांगी है. ''Apologies, it wasn't Govindraj''. वैसे, ये टीओआई की महानता है जो उसने गलत खबर छपने का एहसास होने पर बड़ा सा माफीनामा मांगकर डैमेज कंट्रोल किया. हिंदी वाले कई अखबार कई मामलों में तो जानबूझ कर गलत खबर छाप देते हैं और किसी हालत में माफी नहीं मांगते, चाहें गलत खबर छपने से किसी की दुनिया उजड़ जाए.

हिंदी वाले पत्रकारों व संपादकों की सामंती मानसिकता माफी मांगने में आड़े आती है. अंग्रेजी वाले पत्रकार संपादक ज्यादा रेशनल, लाजिकल व डेमोक्रेटिक होते हैं. अगर उन्हें ज्यों एहसास हुआ कि गल्ती हो गई है तो वे तपाक से सारी बोल देंगे, माफी मांग लेंगे. इसमें कोई हर्ज भी नहीं है. इससे शान घटती नहीं, बढ़ जाती है. अनजाने में गल्ती हो जाना और गल्ती का एहसास हो जाने पर माफी मांग लेना बड़प्पन की निशानी है.

पर हम हिंदी वाले, गांव से शहर आए देहाती दिल-दिमाग से गंवई ही रहते हैं, मूंछ और पगड़ी किसी हाल में नीची न हो, चाहे किसी की गर्दन लुढ़क जाए, ये भाव हम लोगों के रग-रग में है, जाने या अनजाने में. बात हो रही थी टीओआई के माफीनामे की. तो लीजिए, टीओआई के पूरे माफीनामे को पढ़िए. इस माफीनामे से मूल खबर के बारे में जानकारी भी मिल रही है. वो ये कि गोविंदराज, जो कर्नाटका ओलंपिक एसोसिएशन के प्रेसीडेंट हैं, के खिलाफ टीओआई में पूरे चार दिन लगातार खबर व फालोअप स्टोरी छपी कि उन्होंने किसी से छेड़छाड़ कर दी है. टीओआई में गोविंद राज को डर्टी राज कहकर खबरें छापी गईं.

माफीनामा पढ़ने के लिए क्लिक करिए--- टीओआई का माफीनामा

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