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माओवादी आंदोलन पर एक गंभीर फ़िल्म

फिल्म को रियल लोकेशन पर शूट किया गया है
साभार बीबीसी  भावना सोमाया, वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक
इस हफ़्ते दो फ़िल्में रिलीज़ हुई हैं- बोनी कपूर निर्मित, सतीश कौशिक निर्देशित 'मिलेंगे मिलेंगे' और टीपी अग्रवाल निर्मित, अनंत महादेवन निर्देशित रेड अलर्ट.रेल अलर्ट नक्सलवाद के मुद्दे को उठाती है- क्या वो आतंकवादी हैं या क्रांतिकारी हैं?एक नामचीन निर्देशिका और फ़िल्म रिहाई के लिए चर्चित अरुणा राजे ने इस फ़िल्म को लिखा है. पटकथा बहुत परतदार है और छोटी छोटी बातें जैसे, भाषा, चरित्रांकन पर ध्यान दिया गया है.

माओवादी आंदोलन पर शायद यह पहली गंभीर फ़िल्म है जो हमारे आज के हालात और अत्याचार पर आवाज़ उठाती है. फिल्म को रियल लोकेशन पर शूट किया गया है और बहुत सारे दृश्यों में ग्रामीणों को शामिल भी किया गया है.

फ़िल्म का संगीत (ललित पंडित) और गाने (जावेद अख़्तर) बिलकुल सुर और ताल में हैं. एक्शन बढ़िया है और कलाकारों के अभिनय- सीमा बिसवास, आयशा डारकर, समीरा रेड्डी, आशीष विद्यार्थी- भूमिका के हिसाब से हैं. नक्सलवादी नेता विनोद खन्ना मध्यांतर के बाद आते हैं लेकिन अपनी आभा से प्रभावित करते हैं. नसीरुद्दीन शाह सिर्फ़ एक दृश्य में आते हैं लेकिन दिल ख़ुश कर जाते हैं.

ये फ़िल्म बहुत सारे समारोह में जा चुकी है और कई पुरस्कार जीत चुकी है. इसमें कोई शक नहीं कि रेड अलर्ट निर्देशक अनंत महादेवन की अब तक की सारी फ़िल्मों में सबसे महत्वपूर्ण फ़िल्म है.

यदि आप मनोरंजन की तलाश में हैं तो ये फ़िल्म आपके लिए नहीं है, आप कोई और दरवाज़ा खटखटाएँ. लेकिन यदि आप कुछ सोचना चाहते हैं, कुछ समझना चाहते हैं और सुनील शेट्टी/ नरसिम्हा की मेहनत को सराहना चाहते हैं तो आप रेड अलर्ट को 'लाल सलाम' कर सकते हैं.

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