तलाक लेना होगा और आसान
सरकार ने तलाक की सहूलियतें बढ़ाने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और विशेष विवाह अधिनियम 1954 में बदलाव के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। सरकार इसके लिए विवाह कानून संशोधन विधेयक संसद में पेश करेगी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बताया कि कानून में नए संशोधनों के तहत वैवाहिक रिश्तों के खत्म होने को तलाक का आधार बनाया गया है।
कई बार यह देखने में आता है कि रजामंदी से तलाक के लिए अर्जी देने के बावजूद एक पक्ष को कोर्ट में दूसरे पक्ष की गैरहाजिरी के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती। लिहाजा प्रस्तावित संशोधन ऐसी स्थितियों में अर्जी देने वाले के हितों की हिफाजत करेंगे। मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा के दौरान मुस्लिम विवाह कानून में बदलाव के मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय खेल मंत्री एम एस गिल ने लगे हाथ सिख शादियों को हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों से अलग करने समेत अन्य लंबित संशोधन करने की मांग उठाई। हालांकि इस मांग पर प्रधानमंत्री ने अलग से विचार करने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि मौजूदा प्रस्तावों के साथ ऐसे लंबित मुद्दों पर फैसला संभव नहीं होगा।
इस मौजूदा प्रावधानों के अनुसार सिख शादियों का पंजीयन हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही किया जाता है। तलाक के लिए केंद्र ने जिन सहूलियतों को मंजूरी दी उनकी सिफारिश विधि आयोग ने अपनी 217वीं रिपोर्ट में भी की थीं।
संशोधन के बाद हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 और विशेष विवाह अधिनियम की धारा 27 में नए प्रावधान जोड़े जाएंगे।प्रस्तावित विधेयक हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी और विशेष विवाह अधिनियम की धारा 28 में भी परिवर्तन करेगा जिसके सहारे आपसी रजामंदी से तलाक लेने वालों को न्यायालयीन प्रक्रिया में सहूलियतें मिल सकेंगी।
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