जी-८ और जी-५ देशों की बैठक के दौरान सामने आये सुझाव कई अखबारों की पहली खबर है। जनसत्ता और दैनिक भास्कर ने दोनों को मिलाकर जी-१४ बनाने की वकालत को सुर्ख़ी बनाया है। देशबंधु के पहले पन्ने के बॉटम पर विस्तृत आलेख है-गरीब देशों पर आर्थिक संकट के प्रभाव पर केंद्रित रहा शिखर सम्मेलन। जबकि दैनिक ट्रिब्यून ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी को मिले जबरदस्त समर्थन को पहले कैप्शन में दिया है। बीस अरब डॉलर की कृषि सहायता पर सहमति को अमर उजाला ने सुर्ख़ी दी है-ग़रीब मुल्कों का पेट भरेंगे अमीर देश।
मूर्ति मामले में मायावती सरकार को सुप्रीम कोर्ट की राहत पर पंजाब केसरी की पहली ख़बर है-कोर्ट का कैबिनेट नीतिगत मामलों में हसतक्षेप से इन्कार, मूर्तियां लगाने का रास्ता साफ। जनसत्ता की सुर्ख़ी है-दलित नेताओं की मूर्तियां लगने का काम नहीं रुकेगा। नवभारत टाइम्स ने कैप्शन लगाया है-क्या सच होगा माया का सपना?
इंडियन न्यूज पेपर कांग्रेस में विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर का बयान कि भूमंडलीकरण के इसदौर में अख़बारों को भी ग्लोबल होने की जरूरत है-नई दुनिया की पहली सुर्ख़ी है। दालों की आसमान छूती कीमत पर नवभारत टाइम्स के पहले पन्ने पर विशेष ख़बर है-क्या दाल गल रही है मुनाफाखोरों की कीमतें नॉर्मल से तीन गुनी ज्यादा, अगले चार महीनों तक राहत की उम्मीद नहीं।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक बढ़ोतरी पर इकनॉमिक टाइम्स की पहली ख़बर है-अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जरूर बढ़ी, लेकिन कमजोर मानसूनी बारिश ने विकास के बे-पटरी होने की आशंका भी बढ़ा दी। बड़े बॉक्स में है-देशभर के जलाशयों में पानी कम, पैदावार पर काले बादल।
सूखी दरकती धरती के चित्र के साथ देशबंधु का पहला कैप्शन है-सूखे के हालात, सांसत में सरकार। बॉक्स में है-अनाज उत्पादन घटने की आशंका। राष्ट्रीय सहारा में है-केंद्र ने भी माना मानसून बिन सब सून। साथ ही है-बादल थोड़े बरसे, झमाझम की जरूरत है।
दैनिक भास्कर के बारहवें पृष्ठ पर है-हौसले के हैं हाथ-पैर। लॉस एंजेलिस की २६ वर्षीय निक बगैर हाथ-पैर के फुटबॉल, गोल्फ खेलने के साथ स्वीमिंग और सर्फिंग भी कर सकते हैं। कभी आत्महत्या करने की सोचने वाले निक का कहना है-विकलांगता कमजोरी नहीं, एक चुनौती है।
मूर्ति मामले में मायावती सरकार को सुप्रीम कोर्ट की राहत पर पंजाब केसरी की पहली ख़बर है-कोर्ट का कैबिनेट नीतिगत मामलों में हसतक्षेप से इन्कार, मूर्तियां लगाने का रास्ता साफ। जनसत्ता की सुर्ख़ी है-दलित नेताओं की मूर्तियां लगने का काम नहीं रुकेगा। नवभारत टाइम्स ने कैप्शन लगाया है-क्या सच होगा माया का सपना?
इंडियन न्यूज पेपर कांग्रेस में विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर का बयान कि भूमंडलीकरण के इसदौर में अख़बारों को भी ग्लोबल होने की जरूरत है-नई दुनिया की पहली सुर्ख़ी है। दालों की आसमान छूती कीमत पर नवभारत टाइम्स के पहले पन्ने पर विशेष ख़बर है-क्या दाल गल रही है मुनाफाखोरों की कीमतें नॉर्मल से तीन गुनी ज्यादा, अगले चार महीनों तक राहत की उम्मीद नहीं।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक बढ़ोतरी पर इकनॉमिक टाइम्स की पहली ख़बर है-अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जरूर बढ़ी, लेकिन कमजोर मानसूनी बारिश ने विकास के बे-पटरी होने की आशंका भी बढ़ा दी। बड़े बॉक्स में है-देशभर के जलाशयों में पानी कम, पैदावार पर काले बादल।
सूखी दरकती धरती के चित्र के साथ देशबंधु का पहला कैप्शन है-सूखे के हालात, सांसत में सरकार। बॉक्स में है-अनाज उत्पादन घटने की आशंका। राष्ट्रीय सहारा में है-केंद्र ने भी माना मानसून बिन सब सून। साथ ही है-बादल थोड़े बरसे, झमाझम की जरूरत है।
दैनिक भास्कर के बारहवें पृष्ठ पर है-हौसले के हैं हाथ-पैर। लॉस एंजेलिस की २६ वर्षीय निक बगैर हाथ-पैर के फुटबॉल, गोल्फ खेलने के साथ स्वीमिंग और सर्फिंग भी कर सकते हैं। कभी आत्महत्या करने की सोचने वाले निक का कहना है-विकलांगता कमजोरी नहीं, एक चुनौती है।
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