' आमची मुंबई' व महाराष्ट्र मराठियों का नारा बुलंद करने वाले ठाकरे ब्रदर्स का मुंबई पर आतंकी हमले के दौरान परिदृश्य से गायब रहने के राज को लोग समझ नहीं पा रहे हैं। आखिर साहब बहादुर किस मांद में छुपे बैठे हैं। कोई उन्हें बता क्यों नहीं देता कि गोलीबारी व बम धमाकों की आवाज थमें काफी वक्त गुजर चुका है अब वो बाहर निकल सकते हैं। मुंबई अब खतरे से बाहर आ गई हैं।
जिन भारतीयों को वो सौतेला मानते हैं उन्हीं में से कुछ ने मुंबई को आंतंकवादियों के चंगुल से बाहर निकाल लिया है। मराठीवाद के नाम पर भारत की विविधता में एकता के सांस्कृतिक पहचान को तार-तार करने की घटिया हरकत करने वाले महाशय आतंकी हमले के दौरान न जाने कहां दुबक कर बैठे रहे इस दौरान उनकी हुंकार तो दूर चुं तक की आवाज नहीं सुनाई दी।
भई अब तो कोई उन तक यह संदेश पहुंचा ही दे कि भारत के जांबाजों ने मुंबई को आतंकवादियों के चंगुल से मुक्त करा दिया है। वो आकर दोबारा अपने को मराठियों का हिमायती बता सकते हें व समाज मे जातिवाद का जहर घोल सकते हैं। हालंकि यह अलग बात है कि जनता के सामने यह राज खुल चुका है कि मुंबई किसकी है और मुसीबत के वक्त कौन उसकी मदद के लिए कौन आगे आता है और कौन खोह मे दुबक कर बैठ जाता है।
भई अब तो कोई उन तक यह संदेश पहुंचा ही दे कि भारत के जांबाजों ने मुंबई को आतंकवादियों के चंगुल से मुक्त करा दिया है। वो आकर दोबारा अपने को मराठियों का हिमायती बता सकते हें व समाज मे जातिवाद का जहर घोल सकते हैं। हालंकि यह अलग बात है कि जनता के सामने यह राज खुल चुका है कि मुंबई किसकी है और मुसीबत के वक्त कौन उसकी मदद के लिए कौन आगे आता है और कौन खोह मे दुबक कर बैठ जाता है।
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