एंडरसन की फरारी पर कांग्रेस में तू तू-मैं मैं
साभार । दैनिक जागरण
यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वारेन एंडरसन को भगाने के मामले से कांग्रेस जितना दूर भाग रही है, उसमें उतना ही फंसती जा रही है। इस मामले में केंद्र और मध्य प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकारों की भूमिका पर पार्टी के लिए जवाब देना मुश्किल हो रहा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम आने से पार्टी सबसे ज्यादा असहज है।
दस जनपथ के खास जनार्दन द्विवेदी ने मोर्चा संभालकर आरोपों की गेंद मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की तरफ सरका दी है। अब सबकी निगाहें अर्जुन सिंह पर लग गई हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक मुंह नहीं खोला है। एंडरसन को भारत से भगाने के मसले में अर्जुन सिंह के साथ-साथ राजीव गांधी का नाम उछलने से बेचैन कांग्रेस की मुश्किलें पार्टी के भीतर मचे घमासान से और बढ़ गई हैं।
देर से आए फैसले और दोषियों को बेहद मामूली सजा पर सीबीआई से लेकर न्यायिक तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। एंडरसन की फरारी पर राज्य और केंद्र की तत्कालीन सरकारों की भूमिका पर पहले से ही सवाल थे। उस पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बयान ने आग में घी का काम कर दिया है।
अमेरिका में पत्नी का इलाज करा रहे दिग्विजय सिंह ने एंडरसन की फरारी के लिए राज्य सरकार को बरी किया और कहा कि यह केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच का मामला था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मुझे तथ्य पूरी तरह तो नहीं पता, लेकिन इसके पीछे अमेरिकी दबाव हो सकता है। इस बयान के बाद दिग्विजय और अर्जुन सिंह विरोधी खेमे के नेता और पार्टी महासचिव सत्यव्रत चतुर्वेदी ने पलटवार किया और कहा कि केंद्र का इससे लेना-देना नहीं।
एंडरसन को राज्य सरकार के विमान से दिल्ली भेजा गया और इसकी जिम्मेदारी पूरी तरह प्रदेश सरकार की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता वसंत साठे ने तो सीधे-सीधे अर्जुन सिंह को जिम्मेदार ठहरा दिया। मामला उलझता देख कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने इशारों में ही अर्जुन सिंह से जवाब देने को कह दिया।
उन्होंने कहा कि पार्टी का मानना है कि ऐसी किसी भी स्थिति के संबंध में उठने वाले सभी सवालों करी जबावदेही तय करते हुण् जवाब दिया जाना चाहिए। जाहिर तौर पर यह दस जनपथ से अर्जुन सिंह के लिए स्थिति स्पष्ट करने का संदेश था।
हालांकि दो दिन पहले ही अर्जुन सिंह चुपचाप कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भेंट कर चुके हैं। राज्य व केंद्र सरकारों की भूमिका पर दिग्विजय, सत्यव्रत और साठे के बयानों पर द्विवेदी ने सिर्फ इतना ही कहा कि इस बारे में अलग लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन पार्टी का मत यही है।
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