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भारत मे कोई नहीं है पूछने वाला स्वाईन फ्लू को...

स्वाईन फ्लू अगर इंसान होता तो यह देखकर वह जरूर खुश होता कि उसके भय से पूरी दुनिया मे खलबली मची हुई है। लेकिन एक बात पर उसे निराशा भी होती वह जब यह देखता की भारत ही दुनिया का एकमात्र देश है जहां सिर्फ दो बातों की ही चर्चा आम है।

एक तो लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान राजनैतिक दल के नेताओं द्वारा दागे जा रहे मसालेदार बयान दूसरे पैसे और ग्लैमर की पर्याय बना आईपीएल के चर्चे। राजनेता वोट व क्रिकेटर नोट की चाह में जान लड़ा रहे हैं। उन्हें स्वाईन फ्लू नहीं बल्कि हार का भय सता रहा है।
स्वाईन फ्लू नोट व वोट के उपासकों को उसी हद तक डरा सकता है जिस हद तक वह इनके खेल को बिगाड़ने की क्षमता रखता होगा। स्वाईन फ्लू को अगर भारत मे अपनी पहचान बनानी है तो उसे अपने अंदर नोट-वोट के खेल को बना या बिगाड़ सकने की क्षमता पैदा करनी होगी।
अगर वह ऐसा नहीं कर पाया तो बस देश की झोपड़ पट्टी, गरीब बस्तियों, गांवों व जनता अस्पतालों मे ही अपनी जिंदगी बसर करनी पड़ेगी। स्वाईन फ्लू के वायरस को यह क्लू कौन देगा कि वह लाखों गरीबों की जान लेकर भी गुमनाम व उपेक्षित बना रहेगा लेकिन अगर वह एक भी नोट या वोट के उपासक के बीच घुसपैठ बनाएगा तो वह रातों-रात स्टार बन जाएगा।

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